Monday, December 12, 2011

गज़ल

कौन सही है, कौन गलत, क्या-क्या बातें कर जाते हो
इतनी गफलत में तुम जाने कैसे जिन्दा रह जाते हो|

हम मुफ़लिस, बेज़ुबां, हमें तो खुद अपना मालूम नहीं
हमारी  बातें  इतने  यकीं  से तुम कैसे कह जाते हो?

हमसे पूछो, गर्द उड़ी थी, चमकती थी धूप की किरनों में
तुम उसको हर शै सुनहली, अपनी ज़ानिब कह जाते हो|











No comments: