हमारे बस सफ़र से ही क़ायदे कुछ भंग होते हैं
यहाँ पर हर कदम रस्ते जरा और तंग होते हैं।
सियासी मसलों पे इस कदर न बेबाक हुआ कर
दर्मयाँ अंधेरों-उजालों के यहाँ कई रंग होते हैं।
यहाँ सब फासले बस मंच की रवायतें भर हैं
हो नेपथ्य तो सब एक दूसरे के संग होते हैं।
दरवाजों के सुरों से ही क्यूँ तूं बावरा है 'अक्स'
इस घर में दीवारों के भी अपने आहंग होते हैं।