न बस ज़ज्बात, इक फल्सफा सी तेरी सोह्बत है हमें
तेरी शोखियों से ज्यादा तेरी हस्ती से मोहब्बत है हमें।
बहुत होंगे कि तेरे अन्दाज पे वफा चाहने वाले तुझसे
तेरी नज़ाकत से अजीज मगर तेरी बगावत है हमें।
मुमकिन है किसी रोज वो खुदा भी कह दें तुमको
जो है तुझसे, इंसान की इन्सां से अकीदत है हमें।
औ' तेरे इश्क में हो जाएं फ़रिश्ता, ये इम्कां भी नहीं
हाँ मगर तुझसे सुलझी सी, मुमकिन सी चाहत है हमें।
तेरी शोखियों से ज्यादा तेरी हस्ती से मोहब्बत है हमें।
बहुत होंगे कि तेरे अन्दाज पे वफा चाहने वाले तुझसे
तेरी नज़ाकत से अजीज मगर तेरी बगावत है हमें।
मुमकिन है किसी रोज वो खुदा भी कह दें तुमको
जो है तुझसे, इंसान की इन्सां से अकीदत है हमें।
औ' तेरे इश्क में हो जाएं फ़रिश्ता, ये इम्कां भी नहीं
हाँ मगर तुझसे सुलझी सी, मुमकिन सी चाहत है हमें।