ये खामशी उनका खौफ़ नहीं
तेरी इन्सानियत है..
तूं कि जिसकी चुप्पी के चर्चे हैं आजकल
तूं मजबूर नहीं है, ज़हीन है
यूं तेरी आवाज से सिंहासन अब भी हिल जाएंगे
ये मुल्क उनकी मिल्कियत नहीं
अब भी तेरी जम्हूरियत है
बोल कि आखिरी बात तेरी है
तेरे हैं अन्तिम फैसले
बोल जुबां अब तक तेरी है
बोल कि लब आजाद हैं तेरे..
*'फैज़' कि नज़्म 'बोल' से प्रेरित