सुनेंगे फसाने तो इश्क का अन्जाम भी मांगेंगे
लोग मेरी नज्मों से तेरा नाम भी मांगेंगे.
कहते तो हो कुछ और हसीं गज़लें भी लिखूं
उन जुल्फों की बात उठी तो वो शाम भी मांगेंगे.
लड़खडा के गुजरुंगा अपने शहर से कभी फिर
दोस्त पुराने, मेरे नशे से तेरा जाम भी मांगेंगे.
जुड़ा तेरे नाम से किसी का नाम भी तो होगा
सुनने वाले पुरानी तेरी पहचान भी मांगेंगे.
तेरे ख्यालों पे भी हक अब जताउं तो कैसे
तेरे ख्यालों पे भी हक अब जताउं तो कैसे
हिसाब तो लोग महफिल में सरेआम भी मांगेंगे.