ये टूटे से लोगों को झूठी तसल्ली
ये रोटी की किल्लत में रंगीं नज़ारे,
मुहब्बत की गलियों में सियासत के चर्चे
ये अमावस की रातों के कृत्रिम सितारे |
खामोश धड़कन में बीते हुए दर्द
सुनता है कौन, भरे कौन आहें ?
गुमनाम उम्मीद में कटते हुए दिन
ये टूटते ख्वाबों की बेबस सी रातें |
ये महफ़िल ये लोगों के हसीं ताने-बाने
काँटों में उलझे ये रेशम के धागे,
बहुत हमने चाहा हमें रास आये
ये मेला जिसे दुनिया कहते हैं सारे ...