जिन्दगी तेरा काफिला हमें
ये ले के आया है कहाँ हमें.
क्यूं जल रही हैं ये बस्तियाँ
क्यूं डरा रहा है धुआं हमें.
ये वक्त कैसे रुक गया
जरा हाथ थाम औ' चला हमें
अब झूठ-मूठ दिलासे न दे
हो चला है सबकुछ पता हमें.
आखिर में वो भी कह गया
"न पुकारा करो खुदा हमें"
रहने दो अपनी पहचान गुम
यहाँ रहने दो नाआशना हमें