आहों का असर है न अश्कों के ठिकाने
कहाँ हैं -कहाँ हैं वो गुजरे ज़माने ....
राहों पे जिनकी चली जिंदगी है
बातों पे जिनकी ढली जिंदगी है
अरसा हुआ है कि वो भी नहीं हैं
कि जिनसे निभाया, न आए निभाने।
इक उम्र गुजरी तेरे साथ आते
इक उम्र गुजरी ये रिश्ता निभाते
तुमसे तो जोड़े थे रूहों के नाते
तुम्हें भी तो अब हम पड़े हैं पुराने।
न आजमाओ साथी कि हुए अब ज़माने
कहाँ हैं- कहाँ हैं वो गुजरे ज़माने ।
6 comments:
wah wah!! kya baat hai!!
Hope i may ever be able to write such awesome poetry if i keep "loosing my marbles"
Acchi hai.... :)
@ Deo badi dino bad yaad aayi meri !!
@Varun (phoenix) a lot :)
GODLYYYYYYYYYY............
कुछ लिखे हैं...... मचा दिए एकदम से..... आगे भी ऐसा ही लिखते रहिएगा, ऐसी आशा है....... हमारी शुभकामनाएँ हमेशा आपके साथ हैं....... हम अभी ध्यान दिए कि ये अक्टूबर २००९ का लिखा हुआ है...... Google Buzz को बहुत-बहुत धन्यवाद :)
@ Manish ji.. bahut bahut dhanyawad.. aaj aise hi man hua ki laga buzz kr dun isliye purani hi kavita laga di
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