याद आए हैं तेरी आँखों के वो रौशन चिराग।
देख पल भर में ये आँखें नम सी कुछ पड़ जाएँगी
फ़िर दीयों की रौशनी मद्धम सी कुछ पड़ जायेगी
अब ये लौ की फडफडाहट गा भला क्या पायेगी
उठती झुकती पुतलियों के याद आए हैं वो राग।
जो तेरी गलियों में कटीं शामें मेरी कुछ बात थी
तेरी आंखों से थी रौशन जिंदगी कुछ बात थी
वो पटाखे, रौशनी, वो फुलझडी कुछ बात थी
फ़िर याद आए हैं पटाखों से जलाये थे जो हाथ।
याद आए हैं तेरी आंखों के वो रौशन चिराग।
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