अबके शायर को जरा जिंदगी की दवा दे मौला
हां ठीक कह्ता हूं अब ये हस्ती ही मिटा दे मौला।
रेशा-रेशा जल रहे हैं जान-ओ-दिल कब से कहूँ
ये खामखा की लौ - दे फूंक अब बुझा दे मौला।
ये जलती हुई आंखें, ये कश्मकश, ये ख्वाब न दे
अबके रात ढले तो गहरी नींद बस सुला दे मौला।
अब ये नज्में औ' न गज़लें औ' न ये जज्बात ही
अबके जिन्दा रख हमें तो दिल भी दुनिया सा दे मौला।
हां ठीक कह्ता हूं अब ये हस्ती ही मिटा दे मौला।
रेशा-रेशा जल रहे हैं जान-ओ-दिल कब से कहूँ
ये खामखा की लौ - दे फूंक अब बुझा दे मौला।
ये जलती हुई आंखें, ये कश्मकश, ये ख्वाब न दे
अबके रात ढले तो गहरी नींद बस सुला दे मौला।
अब ये नज्में औ' न गज़लें औ' न ये जज्बात ही
अबके जिन्दा रख हमें तो दिल भी दुनिया सा दे मौला।
1 comment:
ये जिंदगी सुकून मांगती है
ये दिल सुकून मांगता है
अरे चलते चलते थक गया है ये समय
अब तो ये समय भी सुकून मांगता है
मैंने क्यूँ बनाया था इंसान
ये सोच सोच कर थक गया है खुदा
अरे अब तो खुदा भी सुकून मांगता है
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