Saturday, June 9, 2012

गज़ल

रात, किसी ख्वाब, कभी नशे में किसी मैखाने में मिलो
यूं भी क्या बात कि जब भी मिलो अफ़साने में मिलो.

इस मुफलिसी में ये महंगे ख्वाब आयेंगे कब तलक
अबके मिलो तो मुकम्मिल किसी ठिकाने पे मिलो.

है इक  उम्र से सिर्फ जमीं की जुस्तजू में हकीकत
और तुम कहते हो  सितारों के आशियाने में मिलो.

अब तो वादों से इरादों से बडा ऊब सा जाता है दिल
इत्तफाकन ही किसी चौराहे पे कभी अन्जाने से मिलो.