Tuesday, December 11, 2012

गज़ल

बाद मुद्दत के इक खयाल फिर अपना लगा
जाने क्यों उदास होना भी आज अच्छा लगा।

ज़हन रु-ब-रु नाकामियों से परेशान होता था
दिल खामखा कुछ जिन्दा लगा, ताजा लगा।


तेरे एहसास की बारीकियाँ क्या समझा किए
जब टूट गया तब अनमोल तेरा वादा लगा।

तूने बख्शी है इक उम्र तसल्ली दिल को
बाद रूख्सत के कोइ नेमत तेरा आना लगा।

तूं 'अक्स' की इन गज़लों का मतलब न पूछ
तुझसे लगा, जब भी अशआर का मज़मा लगा।






  

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