ये जो तेरे हर मोड़ पर जिंदा अफसाने मिल जाते हैं
दो कदम चल दो तो दो लोग पह्चाने मिल जाते हैं|
हैरां हूँ हर शै को है इतनी पहचान मेरी कैसे
हैरां हूँ हर बात में कैसे अशआर पुराने मिल जाते हैं।
है किसे शौक, जाए कौन इस आबो-हवा को छोड़ कर
क्या करुं इन्सां हूँ, कुछ रस्म निभाने मिल जाते हैं|
वो एक शहर है, तूं वहाँ खो ही तो जाएगा 'अक्स'
यहाँ तो अब भी हर सिम्त यारों के ठिकाने मिल जाते हैं।
दो कदम चल दो तो दो लोग पह्चाने मिल जाते हैं|
हैरां हूँ हर शै को है इतनी पहचान मेरी कैसे
हैरां हूँ हर बात में कैसे अशआर पुराने मिल जाते हैं।
है किसे शौक, जाए कौन इस आबो-हवा को छोड़ कर
क्या करुं इन्सां हूँ, कुछ रस्म निभाने मिल जाते हैं|
वो एक शहर है, तूं वहाँ खो ही तो जाएगा 'अक्स'
यहाँ तो अब भी हर सिम्त यारों के ठिकाने मिल जाते हैं।
2 comments:
subhan allah.!!
touché
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