ये टूटे से लोगों को झूठी तसल्ली
ये रोटी की किल्लत में रंगीं नज़ारे,
मुहब्बत की गलियों में सियासत के चर्चे
ये अमावस की रातों के कृत्रिम सितारे |
खामोश धड़कन में बीते हुए दर्द
सुनता है कौन, भरे कौन आहें ?
गुमनाम उम्मीद में कटते हुए दिन
ये टूटते ख्वाबों की बेबस सी रातें |
ये महफ़िल ये लोगों के हसीं ताने-बाने
काँटों में उलझे ये रेशम के धागे,
बहुत हमने चाहा हमें रास आये
ये मेला जिसे दुनिया कहते हैं सारे ...
6 comments:
superlike..sach me aisa hi lagta hai kabhi kabhi...
Dost cha gaye tum ek dum se!! maja aa gaya ..ye teri kalam(ya yun kah lo keyborad) ke liye tha! :)
waise bahut gahri baat kah di hai tumne dost ...sad but very true
seriously.....simply machaxxx!!!
ये महफ़िल ये लोगों के हसीं ताने-बाने
काँटों में उलझे ये रेशम के धागे,
बहुत हमने चाहा हमें रास आये
ये मेला जिसे दुनिया कहते हैं सारे ..
awesome para!!!
वाह!!!!!!!! अविमुक्तेश जी, हमेशा की तरह, एक बार फिर से........... simply GODapa....
ये मेला जिसे दुनिया कहते हैं सारे......
एकदम से मन को छू जाने वाली पंक्ति है. मज़ा आ गया पढ़ के.
simply awesome!!!
लोगों ने काफी कुछ कहा है,पर मैं बस ये कहूँगा अविजी की जब से इसे पढ़ा है बस इसे ही गुनगुना रहा हूँ
मैं अपनी तरफ से कहना चाहूँगा ,
कलम यूँ थाम ली आपने बरबस
नहीं तो बनते कुछ और फ़साने
दास्ताँ-ए-गम
हवा बहने लगी उल्टी
शजर से टूटते पत्ते
कि अब धोखा सा है लगने लगा
सावन का ये मौसम|
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