हम भी यूँ बैठे-बैठे क्या अजीब बात करते हैं
तुम तो सब भूल गए, हम हैं सब याद करते हैं।
किसी रोज़ किसी लम्हा कहीं छूट गए थे तुम
अब भी उसी लम्हे से ख़ुद को बेकरार करते हैं।
तुम भी तो तुम न रहे ज़माने की भीड़ में
ये हम तेरी राहों पे किसका इंतज़ार करते हैं?
कभी कहा था तुमसे कि एक तुम्ही हो मेरे दोस्त
आज जब तुम ही नहीं क्यूँ सब से ये बात कहते हैं?
2 comments:
ek aashik badnamm
very awesome
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